ग्वालियर। इस बार ग्वालियर में गाय के गोबर से बने अलग अलग रंग के दीप आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। लाल टिपारा गौशाला में संतों ने 20 हजार दीपक तैयार किये हैं। जिन्हें शहीदों, कोरोना डयूटी में जान गवाने वाले डॉक्टरों, किसानों के सम्मान में घर घर जलाया जाएगा। शहर के समाजसेवियों के घर ये पहुंचाए गए हैं। इन दीपों के फायदे भी है। सबसे बड़ी महत्वता ये पॉल्यूशन फ्री है।
गाय के गोबर से नए नए प्रयोग करने के लिए चर्चित ग्वालियर के मुरार स्थित लाल टिपारा गोशाला के संतों ने इस बार गाय के गोबर से दीपक बनाये हैं। गौशाला में 10 संतो ने मिलकर 9 दिन में 20 हजार दीपक बनाये है। इन दीपों को शहर के अफसरों, समाज सेवियों को 5-5 की संख्या में पहुंछाया गया है जो बहुत ही कलरफुल हैं।
ऐसे बनाये दीपक
संतो ने गाय के गोबर को डीप की डाई में डाला और प्रेशर कर गोबर को दीपक का आकार दिया। इसके बाद उनको धूप में सुखाकर कलर किया गया है।
पर्यावरण को भी नहीं नुकसान
इन दीपों से दीपावली तो रोशन होगी ही, साथ ही पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा। न ही कचरा होगा। दीपावली के बाद आसानी से इनको पेड़ पौधों में खाद में उपयोग किया जा सकता है। सम्मान में है हर घर मे जलेंगे 5 दीप
गौशाला के संतों ने बताया ये हर घर मे पांच दीपक पहुंचने का उद्देश्य ये है कि हर एक दीप एक के सम्मान में जलाया जाए। जैसे एक दीपक सीमा पर शहीदों होने वाले सिपाहियों के नाम, इसके अलाव कोरोना में डयूटी करते हुए जान गवाने वाले डॉक्टर, देश, किसान और गौमाता के नाम पर जलाएं जाएंगे।
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