शहर के चर्चों का आर्किटेक्चर, इसमें इस्तेमाल की गई सामग्री और थीम में विश्व की कला-संस्कृति व स्थापत्य कला की झलक दिखती है। इन गिरजाघरों (चर्चों) का आर्किटेक्चर जहां गोथिक (ग्रीक) व अमेरिकी स्थापत्य को दर्शाता है। वहीं कुछ गिरजाघर में हॉलैंड के ग्लास व इटली के रंगीन ग्लास इसकी खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं। कोविड-19 के कारण सेलिब्रेशन भले बड़े स्तर पर नहीं हो, लेकिन यीशु के जन्म व प्रार्थना के लिए गिरजाघरों को सजाया-संवारा जा रहा है।

विश्व की स्थापत्य कला झलकती है शहर के गिरिजाघरों में
शहर के इन सभी चर्च में विश्व की स्थापत्य व कला झलकती है. यदि आपको इटली, अमेरिका की स्थापत्य कला को देखना है तो, शहर की केथोड्रिल क्राइस्ट चर्च, इंग्लिश मैथाडिस्ट चर्च, सेंट पीटर्स एंड पॉल केथेड्रेल चर्च पहुंच जाएं। ये चर्च 150 से 200 वर्ष पुराने हैं। शहर की सबसे ज्यादा पुरानी क्राइस्ट चर्च कैथेड्रल है। इसकी स्थापना वर्ष 1844 में की गई थी। सबसे खास बात यह है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बंदियों ने इस चर्च के निर्माण कार्य के दौरान काम किया था।

... और इस चर्च की पहचान बन गई 1857 की क्रांंति
शहर के अंदर बोट शेप में बना सेंट पीटर एंड पॉल चर्च की स्थापना सन 1857 में शहर के पेंटीनाका क्षेत्र में की गई थी। इसके निर्माण पर 10,000 रुपये खर्च हुए थे। सन् 1857 की क्रांति के समय पूरे देश के साथ जबलपुर में भी अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह हुआ था। उस विद्रोह को दबाने कई सैन्य टुकड़ियों ने पेंटीनाका स्थित सेंट पीटर एण्ड पाल चर्च परिसर में ही डेरा डाला था। वर्ष 1857 में ही पटना से यहां भेजे गए अंग्रेज अफसर एपोस्टोलिक ने इसका निर्माण कराया था। वर्ष 1997 में आए भूकंप से इसकी इमारत काफी नुकसान हुआ था। वर्ष 2000 में इसका रेनोवेशन कराया गया।

1875 में हुई थी इंग्लिश मैथोडिस्ट चर्च की स्थापना :
नागरथ चौक पर स्थित इंग्लिश मैथोडिस्ट चर्च की स्थापना 1875 में हुई थी, जिसे जॉर्ज किंग गिल्डर ने स्थापित किया था। इसकी खासियत है कि कोलकाता के विलियम्सन टेलर से प्रेरित होकर इस चर्च को बनाया गया। जिसमें कोलकाता के चर्च की स्थापत्य कला को दर्शाया गया है।
अमेरिकन पादरी वॉटन ने बनवाया
वर्ष 1906 में नागरथ चौक पर ही बने डिसाइपल्स चर्च ऑफ क्राइस्ट को एक अमेरिकन मिशनरी के पादरी वॉटन ने बनाना शुरू किया था। इसकी शुरुआत नागपुर से हुई थी। तब भारत में आने वाले डिजाइपल्स ऑफ क्राइस्ट के प्रथम मिशनरी ने अपना कार्य नागपुर के नजदीक एलिचपुर से शुरू किया था। इस चर्च में अमेरिकन आर्किटेक्चर देखने को मिलता है।
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