जबलपुर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर घुघरी गांव के पास मंगलवार सुबह आठ बजे बड़ा सड़क हादसा हुआ। तेज रफ्तार लोडिंग वाहन सड़क किनारे खाई में पलट गया। वाहन में 36 मजदूर सवार थे। 27 घायल हाे गए। सभी को मेडिकल पहुंचाया गया तो वहां स्ट्रेचर तक नहीं मिला। ऐसे में एएसआई ने पीठ पर लाद कर घायलों को वार्ड तक पहुंचाया। 10 की हालत नाजुक बतायी जा रही है। हादसे के बाद ड्राइवर और क्लीनर फरार हो गए। वाहन में 12 वर्ष की उम्र से लेकर 60 वर्ष की वृद्ध महिलाएं और पुरुष सवार थे। सभी कोहला से शहपुरा मटर तोड़ने जा रहे थे।

चरगवां थाना प्रभारी रितेश पांडे ने बताया कि लोडिंग वाहन एमपी 20 जीए 9077 से मजदूरों को दलाल कैलाश महाराज शहपुरा मटर तोड़ने ले जा रहा था। वाहन मूलचंद रॉय के नाम पर रजिस्टर्ड हैं। वाहन में 12 वर्षीय बालिका से लेकर महिलाएं और पुरुष सवार थे। सुबह आठ बजे के लगभग घुघरी गांव के पास वाहन अनियंत्रित होकर रोड किनारे खाई में पलट गया। हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई।

27 लोग हुए हैं घायल
लोडिंग वाहन में सवार 36 मजदूरों में 27 घायल हो गए। किसी का सिर फट गया तो किसी का हाथ-पैर फ्रेक्चर हो गया। कुछ महिलाएं मौके पर ही बेहोश हो गई। राहगीरों और स्थानीय ग्रामीणों ने चरगवां पुलिस को खबर दी। सभी को डायल-100, 108 एम्बुलेंस से मेडिकल पहुंचाया गया। राहत की बात है कि इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद कोई जनहानि नहीं हुई है। इस क्षेत्र में मटर के हर सीजन में इसी तरह लोडिंग वाहनों में मजदूरों की जान से खिलवाड़ किया जाता है।

एएसआई की संवेदना से सीख ले मेडिकल प्रबंधन
हादसे की खबर पाकर चरगवां थाने के एएसआई संतोष सेन मौके पर पहुंचे। एएसआई का एक हाथ पूर्व में हुए एनकाउंटर में खराब हो चुका है। बावजूद वे मेडिकल में घायलों को लेकर पहुंचे तो वहां स्ट्रेचर नहीं मिलने पर बिना एक पल की देरी लगाए अपने पीठ पर मजदूरों को लाद कर कैजुअल्टी तक पहुंचाया। एएसआई की इस संवेदनशीलता को देख दूसरे लोग भी मदद को दौड़े। हादसे ने मेडिकल की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। महाकौशल के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों को स्ट्रेचर तक नहीं उपलब्ध हो पाता है।

हादसों से सबक नहीं लेती पुलिस और आरटीओ विभाग
चरगवां क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण मजदूरी पर निर्भर हैं। यहां के अलग-अलग गांव से दलाल मजदूरी कराने लोगों को लोडिंग वाहन से ले जाते हैं। कभी मटर तोड़ने के लिए शहपुरा और आसपास के क्षेत्रों में तो कभी शहर में काम कराने ले जाते हैं। हर बार मजदूरों की जान से खिलवाड़ किया जाता है। बावजूद पुलिस या परिवहन विभाग को लोडिंग वाहनों में मजदूरों का परिवहन नहीं दिखता। पूर्व में हुए हादसों से भी सबक नहीं लेते। लोडिंग वाहन में यात्री या मजदूरों का परिवहन प्रतिबंधित है। फिर भी उनकी जान से खिलवाड़ इस क्षेत्र में खुलेआम होता रहता है।

ये बड़े हादसे हो चुके हैं इस क्षेत्र में
- 25 फरवरी 2020 को चरगवां के कमतिया घाट में ट्रैक्टर को क्रॉस करने पर लोडिंग वाहन पलटने से 36 मजदूर घायल हुए थे। तब भी वे मटर तोड़ने निकले थे।
- 27 मार्च 2017 को कमतिया और नुनपुर गांव के बीच इसी तरह लोडिंग वाहन पलट गया था। हादसे में 15 लोगों की मौके पर मौत हुई थी। सभी मजदूरी करने ललपुर जा रहे थे।
- 11 मई 2017 को चरगवां रोड पर ही वन विभाग की लोडिंग वाहन पलट गया था। हादसे में 14 मजदूर घायल हुए थे, 10 की मौत हुई थी। तेंदूपत्ता तोड़ने मजदूरों को ले जाया जा रहा था।

घटना स्थल पर जांच दल किया रवाना
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी संतोष पाल ने बताया कि चरगवां में हादसे की सूचना मिलते ही एक जांच दल को मौके पर भेजा हूं। मालवाहक वाहनों में यात्रियों का परिवहन गैर कानूनी है। वस्तु स्थित की जांच के बाद चालक का ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही वाहन मालिक के खिलाफ भी विधि सम्मत कार्रवाई करेंगे। वहीं एएसपी शिवेश सिंह बघेल ने बताया कि वाहन चालक और मालिक सहित दलाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जा रहा है।

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