20वें दिन में प्रवेश कर चुका किसान आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई में बदल गया है। किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा कि सरकार कानून वापसी को तैयार नहीं है और हम उनसे ऐसा करवाकर ही रहेंगे। किसान नेता इंद्रजीत ने सिंघु बॉर्डर पर कहा, ‘हम बातचीत से भाग नहीं रहे हैं, लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और वो हमारे सामने पुख्ता प्रस्ताव रखे।’
इंद्रजीत ने कहा, ‘आंदोलन के दौरान 20 दिनों में 20 किसानों ने अपनी जान गंवाई है यानी करीब हर दिन एक किसान ने जान गंवाई। हम 20 दिसंबर को देशभर के गांवों में लोगों को रोककर इन किसानों को श्रद्धांजलि देंगे। लड़ाई अब उस मुकाम पर पहुंच गई है, जहां से हमें हर हाल में जीत हासिल करनी है।’
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम किसानों से आगे की बातचीत करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि किसानों के साथ हर कानूनों के नियम पर बात हो। इस बीच, भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने मंगलवार शाम तोमर से मुलाकात की है।
ASSOCHAM का दावा- प्रदर्शन से हर दिन 3500 करोड़ रु. का नुकसान
आंदोलन असर तीन राज्यों की इकोनॉमी पर पड़ना शुरू हो गया है। एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) ने दावा किया है कि किसानों के प्रदर्शन से हर दिन 3500 करोड़ रु. का नुकसान हो रहा है। इससे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की इकोनॉमी पर को नुकसान हो रहा है। इन राज्यों की अर्थव्यवस्था इंटरकनेक्टेड है। किसानों के आंदोलन से ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर असर पड़ा है और सप्लाई चेन टूट गई है। इससे देश भर में फल और सब्जियों की कीमतें बढ़ रही हैं।
यह ऐसे समय में हुआ है जब देश में लॉकडाउन खुलना शुरू हो रहा है। इसका खामियाजा किसानों, कस्टमर्स और इंडस्ट्रीज को चुकाना पड़ रहा है। चेम्बर के सेक्रेटरी जनरल ने सरकार से जल्द इस मुद्दे को सुलझाने की अपील की है। वहीं, किसान यूनियन अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। आज दोपहर 3 बजे से किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा की बैठक होगी। इसमें एक हफ्ते की रणनीति पर चर्चा होगी।
गडकरी बोले- प्रदर्शन में देश विरोधी लोगों की तस्वीरें दिखीं
इस बीच, सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “कुछ ऐसे लोग हैं जो प्रदर्शन का गलत इस्तेमाल कर किसानों को बहका रहे हैं। नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले के एक व्यक्ति की फोटो इस आंदोलन में नजर आई। यह व्यक्ति फिलहाल जेल में बंद है। उसका किसानों से सीधे या परोक्ष तौर पर कोई लेना देना नहीं है। दिल्ली में देश विरोधी भाषण देने वालों की तस्वीरें भी प्रदर्शन में देखी गई। ऐसे लोगों की फोटो वहां कैसे पहुंची, मैं समझ नहीं पा रहा हूं। कुछ लोग जरूर हैं जो किसानों को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह गलत है।’
गडकरी ने कहा- मुझे नहीं लगता कि अन्ना हजारे जी किसानों के आंदोलन से जुड़ेंगे। हमने किसानों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है। यह किसानों का हक है कि वे अपने उत्पादों को मंडी में बेचें, व्यापारियों को बेचें या कहीं और। दरअसल, सोमवार को सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे ने सरकार से किसानों की मांगों को मानने कहा था। उन्होंने सरकार से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मंजूर करने के लिए चिट्ठी लिखी थी। हजारे ने कहा था कि अगर सरकार इन बातों को नहीं मानती है तो वे किसानों के समर्थन में अनशन करेंगे।
10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों का समर्थन किया
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा के 10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को सही बताया है और उनका समर्थन किया है। आंदोलन कर रहे किसानों के लिए तोमर ने कहा कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं। वो हमारे प्रपोजल पर अपना विचार बताएंगे तो हम निश्चित रूप से आगे बातचीत करेंगे।
अपडेट्स:
- जिस चिल्ला बॉर्डर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अपील पर शनिवार रात को खोला गया था, उसे किसानों ने पूरी तरह बंद करने का ऐलान किया है।
- मंगलवार को दिल्ली बॉर्डर पर रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की टुकड़ियां तैनात की गई है। अभी तक यहां पर सिर्फ दिल्ली पुलिस ही तैनात थी। किसान आंदोलन में नक्सलियों और देश विरोधी लोगों की फोटो नजर आई थी।
- दिल्ली के जंतर-मंतर पर पंजाब के खादूर साहिब से कांग्रेस सांसद जेएस गिल की अगुवाई में किसानों के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं। गिल ने कहा- मुझे जानकारी मिली है कि अडानी और अंबानी ग्रुप ने 53 कृषि कंपनियां रजिस्टर करवाई हैं।
- गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी एक किसान हैं। उनके कृषि उत्पाद कितनी कीमत पर बेचे गए। क्या यह MSP पर बेचे गए?
- राजस्थान और हरियाणा के जयसिंहपुर- खेड़ा बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन मंगलवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। यहां प्रदर्शन कर रहे किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि तीनों कृषि कानून व्यापारियों के फायदे के लिए है।
- दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को वहां सफाई नहीं होने से परेशानी हो रही है। संगरूर पंजाब से आए किसान भाग सिंह ने कहा- प्रशासन यहां के वॉशरूम में पानी उपलब्ध नहीं करवा रहा है, यह गलत है।
- दिल्ली बॉर्डर के पास कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 4 किसानों की घर लौटते वक्त दो अलग-अलग सड़क हादसों में मौत हो गई। इनमें 2 पटियाला, एक मोहाली और एक फतेहागढ़ साहिब के बताए जा रहे हैं।
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