बिहार में आम तौर पर उप-मुख्यमंत्री की परंपरा नहीं थी। गठबंधन धर्म निभाने में यह परंपरा बनती चली गई। इस पद का सबसे लंबा अनुभव सुशील कुमार मोदी का रहा है। वे 2015 में बनी सरकार में डिप्टी CM नहीं थे, लेकिन उससे पहले जरूर थे। और फिर पिछली सरकार में बीच में बन गए, जब नीतीश राजद से अलग होकर भाजपा के साथ हो गए थे।
पिछले जनादेश में यह पद तेजस्वी यादव के पास था और इस बार भाजपा के दो नए चेहरे इस पद पर आए हैं। तेजस्वी 8वीं पास थे और नए बने दो डिप्टी CM इंटर पास हैं। यानी, दोनों जनादेश में इस पद पर आए नेताओं की शिक्षा में चार जमात का अंतर है।
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महागठबंधन ने शिक्षा पर उठाए थे सवाल
तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को भाजपा और NDA में अहम ओहदा दिए जाने की जानकारी के बाद रविवार से ही महागठबंधन भाजपा पर हमलावर रहा। राजद प्रवक्ता मनोज झा ने दोनों नामों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी कि NDA और भाजपा तेजस्वी को शिक्षा के लिए घेरती है, लेकिन उसे ही बड़े पदों के लिए पढ़ा-लिखा नाम नहीं मिला।
सोमवार को जब औपचारिक तौर पर राजभवन के राजेंद्र मंडपम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में दोनों बैठे तो सोशल मीडिया पर भी चर्चा घूमकर निकली कि पिछले जनादेश के समय नीतीश के बगल में 8वीं पास डिप्टी CM बैठे थे और इस बार दो बैठे हैं, दोनों इंटर पास।
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नीतीश खुद इंजीनियर हैं
सदी की इकलौती साक्षर मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से प्रभार लिया था इंजीनियर नीतीश कुमार ने। राबड़ी देवी के बाद नीतीश ही लगातार मुख्यमंत्री हैं। 2015 में डेढ़ साल के लिए महागठबंधन की सरकार बनी थी, तब भी। उसके पहले और उसके बाद भी इंजीनियर नीतीश ही इस पद पर हैं। पटना इंजीनियरिंग कॉलेज (अब NIT) से सिविल इंजीनियरिंग करने वाले नीतीश कुमार ने राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए व्यापक पैमाने पर काम किया है। वह कई मौकों पर इंजीनियर के रूप में तकनीकी बातचीत करते हुए भी देखे-सुने जाते हैं।
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