इंटरनेशनल मोनटरी फंड (IMF) की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने दुनियाभर की सरकारों से इकोनॉमी में रिकवरी के लिए और राहत पैकेज देने का आग्रह किया है, जो कोविड-19 महामारी के कारण लिक्विडिटी ट्रैप में फंसी हुई है।
ब्याज दरों में कटौती
फाइनेंशियल टाइम्स के एक आर्टिकल में गीता गोपीनाथ ने कहा कि पहली बार 60% ग्लोबल इकोनॉमी के सेंट्रल बैंकों की ब्याज दरें 1% से भी नीचे आ गई है, जिसमें 97% एडवांस्ड इकोनॉमी शामिल है। जबकि, 20% सेंट्रल बैंकों की ब्याज दरें निगेटिव हो गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि ब्याज दरों में भारी गिरावट के बावजूद भी सेंट्रल बैंकों ने कठिन समय के लिए ब्याज दरों में और कटौती के लिए भी तैयार हैं। सोमवार को गोपीनाथ ने कहा कि वर्तमान में दुनियाभर की इकोनॉमी लिक्विडिटी ट्रैप में हैं, जहां मोनेटरी पॉलिसी के प्रभाव सीमित हैं। इसलिए हमें और योजनाओं के निर्माण पर सहमत होने की आवश्यकता है।
नकदी की समस्या
उन्होंने दुनियाभर की फिस्कल अथॉरिटी को नकदी ट्रांसफर कर डिमांड को बढ़ाने की सलाह दी है। क्योंकि, इससे खपत में ग्रोथ देखने को मिलेगी। गोपीनाथ ने मेडिकल सुविधाओं, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण सुरक्षा में बड़े स्तर पर निवेश की बात कही है। इससे नए रोजगार के अवसर बनेंगे और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को भी प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही रिकवरी की नींव मजबूत होगी। हालांकि, राहत पैकेज हमेशा बेहतर विकल्प नहीं होता है। क्योंकि, अलग-अलग क्षेत्रों में खर्च, इकोनॉमी ग्रोथ के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाना होगा।
इकोनॉमी में गिरावट
पिछले महीने ही IMF ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट को जारी किया था। इसमें आईएमएफ ने 2020 के लिए ग्लोबल इकोनॉमी में 4.4% की गिरावट का अनुमान आशंका जताई है। आईएमएफ ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण आर्थिक दिक्कतें लंबे समय तक रह सकती हैं।
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